हरेली तिहार: टोनही संस्कृति एवं मिथक

प्रस्तुतकर्ता Unknown सोमवार, 30 जून 2014 3 टिप्पणियाँ
धरती हरियाली से मस्त सावन का महीना प्रारंभ होते ही चारों तरफ़ हरियाली छा जाती है। नदी-नाले प्रवाहमान हो जाते हैं तो मेंढकों के टर्राने के लिए डबरा-खोचका भर जाते हैं। जहाँ तक नजर जाए वहाँ तक हरियाली रहती है। आँखों को सुकून मिलता है तो मन-तन भी हरिया जाता है। यही समय होता है श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में अमावश्या को "हरेली तिहार" मनाने का। नाम से ही प्रतीत होता है कि इस...
प्राकृतिक सुषमा से भरपूर अद्भुत सौंदर्य एवं प्राचीन गढ़ों के प्रदेश छत्तीसगढ़ को प्रकृति ने नैसर्गिक रुप से अनुपम शृंगार दिया है। शस्य श्यामला धरा के मनमोहक शृंगार के संग यहाँ के प्राचीन मंदिरों, बौद्ध विहारों एवं जैन विहारों में मानवकृत अनुपम मिथुन शिल्प सौंदर्य का दर्शन होता है। कलचुरियों, पाण्डूवंशियों एवं नागवंशियों ने अपने कार्यकाल में भव्य मंदिरों एवं विशाल बौद्ध विहारों...

कुरुद अंचल का मधुबन धाम

प्रस्तुतकर्ता Unknown मंगलवार, 24 जून 2014 0 टिप्पणियाँ
छत्तीसगढ़ अंचल में फ़सल कटाई और मिंजाई के उपरांत मेलों का दौर शुरु हो जाता है। साल भर की हाड़ तोड़ मेहनत के पश्चात किसान मेलों एवं उत्सवों के मनोरंजन द्वारा आने वाले फ़सली मौसम के लिए उर्जा संचित करता है। छत्तीसगढ़ में महानदी के तीर राजिम एवं शिवरीनारायण जैसे बड़े मेले भरते हैं तो इन मेलों के सम्पन्न होने पर अन्य स्थानों पर छोटे मेले भी भरते हैं, जहाँ ग्रामीण आवश्यकता की सामग्री...

नागमाड़ा सरगुजा : रहस्यमय गुफ़ा

प्रस्तुतकर्ता Unknown शुक्रवार, 20 जून 2014 0 टिप्पणियाँ
लखनपुर/ छत्तीसगढ़ राज्य का सरगुजा अंचल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ अपने गर्भ में ऐतिहासिक, पुरातात्विक एवं सांस्कृतिक महत्व के अनेक रहस्य छुपाए हुए है। जो क्रमश: प्रकाश में आते दिखाई देते हैं। ऐसा ही एक स्थान है लखनपुर ब्लॉक के नागमाड़ा की गुफ़ा। लखनपुर से उत्तर पश्चिम दिशा में गुमगरा-भरतपुर मार्ग पर 15 किलोमीटर की दूरी पर सागौन, साल, शीशम, धौरा एवं अन्य प्रजातियों से आच्छादित...
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